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Showing posts from August, 2018

fipty percent partner

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नन्ही हथेली की थपकी और मासूम आवाज़ "उठी माँ.... " भीनी भीनी सी महसूस तो हो रही थी मगर दवाओं का असर इतना गहरा था कि निधि अपनी तीन साल की बिटिया की दस्तकें नहीं समझ पा ही थी।  माइग्रेन के दर्द की दवाइयाँ उसे बेहोश सा किये थीं और बड़ी कोशिशों के बाद जब उसने आँखें खोलीं तो छोटी सी माही उसके सिरहाने बैठी उसे उठाने की कोशिश कर रही थी.... "उठी माँ...." उसकी टूटी फूटी बोली ने निधि के चेहरे पर मुस्कान ला दी और अब सर कुछ हल्का सा लगने लगा था। तभी समर कमरे में आये और निधि का हाल पूछने लगे। निधि कल शाम से माइग्रेन के दर्द से बेहाल थी और समर लगभग पूरी निष्ठा से उसकी देख भाल में लगे थे। हाथ में जूस का गिलास लिए जिरह कर रहे थे और निधि अनमनी सी उसकी बात ना मानने की कोशिश कर रही थी। जूस पी कर निधि की आँखें और दिमाग दोनों कुछ और खुल गए और अब नन्हीं माही की खुराफातें निधि का ध्यान आकर्षित करने लगी। "ढूंढी माँ.... छुपी माँ..." निधि मुस्कुराये बिना न रह सकी, ये माही की अपनी भाषा है, और इसका मतलब है छुपन छुपाई का खेल। वक्त का ख़्याल आया...माही स्कूल से भी आ गई, ना जाने कितनी द...

nayi bahu....

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दोपहर की झपकी का वक़्त कालिंदी के लिए दिन का सबसे महत्वपूर्ण वक़्त था क्यूंकि यही वो फुर्सत की मुठ्ठी भर लम्हे हुआ करते थे जो सुबह से दिन तक की थकान को मिटाते और शाम से रात तक घर के कामों की धुरी पर चलने की कुछ ताकत दे जाते। कालिंदी की ऑंखें मुंद ही रही थी कि आँखों के आगे नयी बहु का चेहरा घूम गया, और एक भीनी सी मुस्कान उसके चेहरे पर तैर गयी। महीनों से तैयारी थी, दिन रात की मेहनत और शादी यूँ झटपट निपट गयी कि कालिंदी रस्मों रिवाज़ों में ही उलझी रह गयी और पता ही नहीं लगा कि कब उसके छोटे परिवार में एक नई सदस्य जुड़ गई.... महक। कमसिन सी महक कालिंदी को पहली ही नज़र में पसंद आ गयी थी। एकलौते बेटे पूरब के लिए कई रिश्ते आये मगर चार अक्षर अंग्रेजी के क्या पढ़ गया, इस बेटे को कोई लड़की जमती ही नहीं थी।  जब शशि जीजी  के बताने पे महक का रिश्ता और फोटो आयी तो कालिंदी ने एक ही नज़र में महक को पसंद कर लिया और मन बन लिया कि चाहे पूरब ले लड़ना पड़े अब तो महक ही इस घर की बहु बनेगी। उसकी नौबत ही नहीं आयी, महक की नज़ाकत ने पूरब का दिल लुभा लिया था और पहली ही दफा में शादी पक्की हो गयी। हा...