अलमारी... यूँ तो घर की एक आम सी चीज़, मगर एक बडी खास बात है इसमें... नाजाने कितनी बेशकीमती यादों का खजाना बटोरे खामोश सी एक कोने में खडी रहती है। अलमारी से रूबरू होना और यादों के गलियारों में खो जाना मेरी आदतों में शुमार है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ... यूँ ही पुराने कपडों की तहें टटोल रही थी कि अचानक एक पुराने कुर्ते पर नजरें जा टिकी। सागरी हरा रंग, सफेद बार्डर, मोती की बारीक कारिगरी...उफफ... मेरा पसंदीदा लिबास... होंठों पर मुसकुराहट और आँखों में हसीन लम्हे तैर गए। मैं सब छोड़ खडी हुई और लपक कर उसे पहनने लगी... मगर... अगले ही पल निराश हो कर बैठ गई.... मेरा बेडौल शरीर अब इस कुर्ते की खूबसूरती के साथ इंसाफ नहीं कर सकता... माँ बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास है मगर कुछ खामियां भी इसके साथ आती हैं। बेडौल झूलता शरीर ढीले कपडों में छुपा कर मैंने ऐसे कितने ही पुराने कपडों को यादों के साथ अलमारी में छुपा रखा है। मायूस तो हूँ.... मगर सोचती हुँ क्या वक्त वो पुराने दिन लौटा सकता है.... क्या वो सागरी हरा कुर्ता फिर मुझे अपना सकता है...।
पुनच्श्रः -- माँ बनने के बाद वापस अपनी शारीरिक संरचना में लौट कर आना कठिन है मगर सही राह और मार्गदर्शन से यह संभव है। आपने पुराने कपडों को यादों में न संजोएं... बल्कि उन्हें अपनी प्रेरणा बनाएं..वे आपको अपनाएं इसलिए आप खुद को अपनाएं...
"Return to pre-pregnany body....it's possible...we can help...."
पुनच्श्रः -- माँ बनने के बाद वापस अपनी शारीरिक संरचना में लौट कर आना कठिन है मगर सही राह और मार्गदर्शन से यह संभव है। आपने पुराने कपडों को यादों में न संजोएं... बल्कि उन्हें अपनी प्रेरणा बनाएं..वे आपको अपनाएं इसलिए आप खुद को अपनाएं...
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