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आज  सुबह सुबह  वर्मा आंटी घर आ गयी, माँ वैष्णो देवी का प्रसाद ले कर।  पिछले दिनों ही वो सपरिवार माता रानी के दर्शन को गयीं थीं। हम सब अखरोट के लिए टूट पड़े मगर माँ मायूस सी प्रसाद की थैली को देख रही थी। "हम तो जा ही ना सके और अब ये घुटने जवाब दे गए।"  सारा जीवन घर और नौकरी में बिता दिया माँ ने, अब नाती पोतों से घर भरा है पर माँ की कुछ ख्वाहिशें अब भी अधूरी हैं।  पहले पापा और अब हम से माँ रट  सी लगाए रहती है की वैष्णो देवी के दर्शन करवा दो।  कभी व्यस्तता , तो कभी गृहस्ती की उलझनों में हम सब माँ की ख्वाहिशों के लिए मौका ही न निकाल सके।  जब भी कुछ खुदरा वक़्त जिंदगी से चुराया और छुट्टी का प्लान बनाया, तो माँ के घुटने का दर्द आड़े आ गया।  नतीज़तन माँ यूँ ही माता के प्रसाद की थैली को निहारती और अफसोस करती। असल में सारी गलती वक़्त और हालात की ही नहीं है, कुछ दोष हम सब का है।  माँ के घुटने बाद से बदतर हो गए और माँ का दरबार दूर....... बहुत दूर......
पुनश्च  :  आर्थराइटिस या गठिया लाइलाज नहीं है, मगर इसे सही समय पर संभालना ज़रुरी है।  हम आमतौर पर इसे सिर्फ दर्द समझते हैं,  मगर ये ऊपरी तौर पे दिखने वाले  दर्द का कारण भीतर हो रहे जोड़ का डिजनरेशन है। ज़ाहिर  है, जो दर्द के ट्यूब और दवाइयां हम ऊपरी तौर पर इस्तेमाल करते है वो भीतर हो रहे जोड़ के डिस्ट्रक्शन को नहीं रोक सकता।  जोड़ के कमज़ोर होने को रोका तो नहीं जा सकता , वो तो उम्र के साथ लाज़मी है ।हम मांशपेशियों की ताकत बढ़ा कर जोड़ की कार्य क्षमता बढ़ा सकते हैं।  आर्थराइटिस के  साथ जीवन को बेहतर बनाने का काम फिजियोथेरेपी कर सकती है।  फिजियोथेरेपी में मुस्कलेर स्ट्रेंग्थेनिंग और जॉइंट स्टेबिलाइजेशन टेक्निक्स से आर्थराइटिस में काफी आराम पड़ता है।  ये सब कुछ हमे डॉक्टर ने बताया मगर ज़ाहिर है अबतक इसके लिए बहुत देर हो चुकी थी। अब जॉइंट रिप्लेसमेंट का ऑपरशन ही  एक आखरी रास्ता रह गया है की माँ दर्द  मुक्त हो कर चल सके।

देर न करे,  फिजियोथेरेपी के  साथ आर्थराइटिस से लड़ कर जीतें...... माँ की ख्वाहिशें दर्द की मोहताज़ न बने.....

WE CAN HELP...... physical therapy services for all orthopedic conditions

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