

कुछ फुरसत के लम्हे कल शाम मेरे अपने से थे और मैं यूँ ही बैठे बैठे अपने फ़ोन के विडिओ और फोटो देख रही थी। मेरी नन्ही सी बिटिया की फोटो से फ़ोन भरा पड़ा था। कुछ विडिओ थे उसकी नयी हरकतों के... किसी में पढ़ रही है, तो किसी में डांस, किसी में ABC, तो किसी में 123, किसी में शेप लगा रही है, तो कही कलर बता रही है। कुछ ऑडियो भी है जिनमे बातें ही बातें हैं उसकी। कुल मिला कर ये सब सबूत है की बिटिया अब बड़ी हो गयी है। बस बुदबुदाने से अब आधी पढ़ाई सीख ली उसने... कुछ दिनों में ढाई साल की हो जाएगी। अब वक़्त आ गया है की स्कूल की तयारी की जाये... शायद ये बात मेरे ज़हन में पूरी तरह उतर भी नहीं पायी थी कि मैं घबरा गयी... स्कूल..... मतलब मुझसे दूर जाएगी.. जैसे किसी शक्ति ने मुझे फट से सो रही बेटी के पास ले खड़ा किया और मैं अथाह ममत्व से उसी निहार रही थी। कैसे जाएगी मुझसे दूर... उसने धीरे से करवट बदली और नन्हे हाथों से मुझे सहलाया... मनो कह रही हो अब मैं बड़ी हो गयी मम्मा मैं अकेले स्कूल जा सकती हूँ। मैं और फिक्रमंद... क्या करूँ माँ हूँ न।
पुनश्च :- छोटे छोटे वक़्त के टुकड़े जो हम औरतों को जिंदगी से चुराने पड़ते हैं उन्हें फ़िज़ूल न जाने दें। हाथ हिला कर बच्चे जब स्कूल को जाये तो पलट कर घर के काम और रसोई के जंजाल में न घुस जाएँ... कुछ लुत्फ़ उठायें इस फ्री टाइम का... मौका दें खुद को हैल्थी और फिट बनाने का।
खुद से प्यार करें , आखिर सारी जिंदगी काटनी है खुद के साथ।
WE CAN HELP
women health, cosmetic and fitness services
Comments
Post a Comment