आज विमेंस डे है, " महिला दिवस"... सोशल मीडिआ महिलाओं के सम्म्मान में कसीदे पढ़ रहा है।  व्हाट्सप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर..... सब हैप्पी विमेंस डे के संदेशों से अटा पड़ा है।  जिन लोगो ने कभी इज़्ज़त की नज़र से देखा भी नहीं था वो भी विमेंस डे पर औरतों की महानता का बखान कर रहे हैं। मैंने भी आज कुछ अच्छा लिखने का मन बना कर बहुत कुछ सोचा... कई कवितायेँ और महान लोगों की कही बातों के आधार पर कुछ लिखने की कोशिश करती रही मगर कुछ दिल को छुने जैसा था ही नहीं। दिमाग के किसी कोने में यही था की आज विमेंस डे है, आज का ब्लॉग स्पेशल होना चाहिए।  बस मैं कुछ सटीक पा  न सकी और हार कर सोचा छोड़ो...  विमेंस डे ही तो है... आते जाते रहेंगे ऐसे दिन... एक मेरे ब्लॉग से क्या स्पेशल होगा...
मगर फिर अगले ही पल मुझे ख्याल आया कि महिल दिवस तो बस एक मौका है, एक तारीक... मैं तो रोज़ ही औरतों की मार्मिक कहानिया लिखती हूँ जो उनके जीवन से जुडी हैं और उनकी भावनाओं  का प्रतिबिम्ब हैं। तो फिर आज का ब्लॉग स्पेशल कैसे होगा... आज मैं एक कहानी और लिख रही हूँ... मेरी कहानी... 
मैं... कहाँ से शुरू करूँ... 
मैं एक साधारण सी लड़की थी... एक मासूम सा इश्क़... और उम्र भर का फ़साना... बस इतनी ही है मेरी कहानी... मैंने अपने इश्क़ को शादी का नाम दे दिया और अपने विश्वास को अन्धविश्वाश का... शादी और परिवार की जिम्मेदारी में मैं सब भूल गयी और वो "मेधावी छात्रा" एक कुशल गृहणी बन गयी।  लगभग अच्छी बहु, पत्नी और अब माँ.... सब कुछ चार दीवारों में कैद हो गया जिसे लोग मेरा घर कहते हैं... बड़े बड़े ख्वाब छोटी छोटी लोई में दब दब कर रोटी बन गए... और सारी चटपटी दोस्ती की यादें सब्ज़ी के ज़ायके बन गए .. कुल मिला कर मैं अपनी पढ़ाई रसोई में झोक रही थी.... हाँ... "थी" ... यहाँ आता है एक नया किरदार...  कॉलेज के ज़माने की मेरी एक दोस्त... थोड़ी पागल.. थोड़ी अड़ियल... किसी की न मानाने वाली... कभी न झुकने वाली.... मेरी एक दोस्त... 
उसके दिमाग एक नया  बिज़नेस आईडिया आया..(गौरतलब है की उसे हर पल एक नया बिज़नेस आईडिया आता है) और उसने मुझे काम पर लगा दिया... बस यूँ ही एक लम्हे में शुरुआत हुयी इस ऑनलाइन पोर्टल की... हेअल्थी मॉम 
उसने मुझे एक झटके में वापस मेरे प्रोफेशन से जोड़ दिया.. मुझे कंसलटेंट फिजिकल थेरेपिस्ट, ब्लॉगर और ऑनलाइन मैनेजर बना डाला। मेरी गोल्ड मेडलिस्ट डिग्री को एक ओहदे और ज़िम्मेदारी का मोल दिया और  लिखने के मेरे शौक को ब्लॉग्गिंग का प्लेटफार्म... मेरी ज़िन्दगी और मेरे हुनर को उसने नए आयाम दिए... मेरे लिए हर दिन विमेंस डे बना दिया उसने... 
ये है मेरी कहानी... मुझे मेरे औरत होने का मोल बताया मेरे सहेली ने।  आइये इस विमेंस डे बस मैसेज फॉरवर्ड कर के न रह जाएं। .. किसी किए लिए सच में इस दिन को और औरत होने भाव को महत्वपूर्ण बनाएं।  किसी हुनर को संवारें... किसी को शशक्त बनायें... किसी हो हिम्मत दें... किसी को सहारा दें.... औरत को औरत होने का गौरव दें... 
नारी होना बस किसी कविता की विषयवस्तु बन कर न रह जाये... इसलिए इस वीमेनस डे प्रण लें कि हम शशक्त बनेंगें और हर स्त्री एक स्त्री शशक्त बनाने में कुछ सहयोग दे...
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