एक बार एक प्रोफेसर ने क्लास में आ कर कुछ चीज़ें टेबल पर रखीं।  उनमे में से था कांच का खाली मर्तबान। 
फिर उसमे डालीं छोटी गेंदें और क्लास से पूछा की क्या ये मर्तबान भर गया? क्लास का जवाब था "हाँ" 
फिर प्रोफेसर ने उस मर्तबान में छोटे कंकड़ डाले  और मर्तबान को थोड़ा हिलाया।  कंकड़ों ने गेंदों के बीच की खाली जगह ले ली और क्लास से पूछा की क्या ये मर्तबान भर गया? क्लास का जवाब था "हाँ" 
उसके बाद प्रोफेसर ने मर्तबान में रेत डाली जिसने मर्तबान की सारी खाली जगह को भर दिया।  तब क्लास से पूछा की क्या ये मर्तबान भर गया? क्लास का जवाब था "हाँ"
और अंत में प्रोफेसर ने बियर की दो बोतलें उठायी और मर्तबान में उड़ेल दी तब क्लास से पूछा की क्या ये मर्तबान भर गया? क्लास का जवाब था "हाँ"
ये कहानी कुछ जानी पहचानी लगी होगी आपको।  इंटरनेट पर ये कहानी बड़ी वायरल हुई और इस कहानी का सबक जो है "जीवन की प्राथमिकताएँ"
वो एक प्रेरणात्मक विचार के रूप में उबरा।  जो लोग इस कहानी से अनजान है उनके लिए बता दूँ कि, ये कांच का मर्तबान आपका जीवन है और प्रोफेसर द्वारा डाली गयी गेंदें हमारे जीवन की महत्वपूर्ण चीज़ों को दर्शाता है जैसे आपका परिवार, जीवन साथी, बच्चे, अच्छी  सेहत। छोटे कंकड़ बाकि चीज़ों की तरह हैं जो हमे जिंदगी जीने की लिए ज़रूरी है जैसे घर, अच्छी नौकरी।  रेत हमारी जिंदगी की बाकि बची हर छोटी चीज़ को दर्शाती है जैसे चिंता, ईर्ष्या, आदि।  अब अगर हम इस मर्तबान में सबसे पहले रेट दाल दें तो मर्तबान पूरी तरह भर जायेगा और बाकी किसी चीज़ के लिए जगह नही बचेगी। मगर गेंदें सबसे पहले डालने से बाकी चीज़ें भी मर्तबान में समाती गयी जैसे गेंदों ने बाकि सारा छोटा सामान अपने अंदर समां लिया हो। इसी तरह अगर हम अपनी जिंदगी में छोटी गैरज़रूरी बातों को महत्व देंगे तो ज़रूरी चीज़ों के लिए वक़्त और जगह दोनों ही नहीं रहेंगे।  सो हमे अपनी जिंदगी में सबसे पहले सबसे ज़रूरी चीज़ों - अपना परिवार, जीवन साथी, बच्चे और अच्छी सेहत को महत्व देना चाहिए बाकी चीज़ें सही जगह अपने आप ही फिट हो जाएँगी।  
अब अगर इस कलात्मक कहानी का एक पहलु मेरी नज़र से देखे तो वो है  मर्तबान का विश्लेषण  एक औरत की नज़र से।अगर ये मरतबान हमारा जीवन है तो गेंदें हमारी ख़्वाहिशें और इच्छाऐं हैं... छोटे कंकड़ हमारा परिवार और घर हैं... और रेत है हमारी गृहस्थी की छोटी बड़ी ज़िम्मेदारियाँ जो अमूमन अनदेखी ही रहतीं हैं। इसी लिए गृहस्थी की ज़िम्मेदारियों में खुद को झोंकने से पहले अपनी ख़्वाहिशों को ज़रूर महत्व देंं। आप खुश रहेगीं तो सबकी खुशी खुद ब खुद सुनिश्चित हो जाएगी। प्रोफेसर की और मेरी, दोनों ही कहानियों में एक चीज़ रह गई... और वो है... बीयर की बोतल... तो प्रोफेसर साहब की नज़र से बीयर का महत्व यह है कि... चाहे जिंदगी कितनी ही भरी क्यों न हो दोस्तों के लिए वक्त और जगह दोनों ही बनाई जा सकती है। और मेरे नज़रिए में.... चाहे जिंदगी कितनी ही भरी क्यों न हो अपनी सेहत लिए वक्त और जगह दोनों ही बनाई जा सकती है। 
Stay Healthy... Stay Happy...
Prioritize yourself
खुद को प्राथमिकता दें।
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