2. The Real Failureएक कामयाब इंसान ने एक इंटरव्यू में कुछ अहम सवालों के जवाब कुछ इस तरह दिए
सवाल: आपकी सफलता का राज़ क्या है?
जवाब: दो शब्द- सही फैसले।
सवाल: आपने सही फैसले करना कैसे सीखा?
जवाब: एक शब्द- अनुभव।
सवाल: आपने अनुभव कैसे हासिल किया?
जवाब: दो शब्द- गलत फैसले।
जिंदगी आसान नहीं और इसके फैसले उससे भी मुश्किल।  ज़रूरी नहीं हमारा लिया हर फैसला सही हो मगर हर गलत फैसला असफलता नहीं होता। जिंदगी के असली सबक हमारे लिए गलत फैसलों में होते हैं। यूँ तो जीवन हर दम में कोई न कोई सबक दे रहा होता है पर कुछ सबक लाइफ चेंजिंग होते हैं.... ऐसी ही एक छोटी कहानी वेदिका की उसकी की जुबानी.....जो हमारी हैलदी मॉम की सरविसेज ले रही है कुछ सम़य से.......और साझा करना चाहती थी कि कैसे खुद को दरकिनार करके अपनी हैलथ से खिलवाड किया और नतीजा 32 की उमर मे ही 4्5-50 के बाद होने वाली समसयाओ को बुलावा दिया
कभी कभी जिंदगी कुछ ऐसे चैलेंज देती है जो न हम ले सकते है और न नकार सकते हैं... ये वो सबक होते हैं जो सब बदल देते हैं। ऐसा ही एक सबक मुझे जिंदगी ने तब दिया जब मेरा परिवार मुझे अगले बच्चे के लिए ज़ोर दे रहा था। पांच साल की शादी, एक मिस्कैरेज और एक बच्ची..... ये मेरी प्रजनन कथा है...
और अब घर वालों के हिसाब से बिलकुल सही वक़्त है कि मैं परिवार बढ़ाने की विषय में सोचूं। मगर मेरा पहलु एकदम अलग है।  बड़ी व्यस्त और थकान भरा रहा है मेरा ये पांच साल का सफर... एक से न उबरी और नयी करवट ली मेरी ज़िन्दगी ने... मुझे सँभलने का मौका ही नहीं दिया... मुझे मिस्कैरेज और डेलिवरी के बदलाव से खुद को निकलने की मोहलत नहीं मिली... सब कहते हैं कि  मैं ही खुद के प्रति लापरवाह हूँ मगर मैं जब भी अपने लिए वक़्त चाहती हमेशा घर परिवार के झंझट मुझे घेर लेते। इन चक्रव्यूह से घेरों में मैंने अपना कैरियर ही नहीं अपनी हेल्थ भी खो दी।  नतीजतन ज्यादा बीमार और थकी रहने लगी... कुछ पुरानी चोटें आज भी नासूर बन कर मेरे साथ हैं और कई बार हुए इन्फेक्शन और हॉस्पिटलाइज़ेशन की रिकवरी आज भी पेंडिंग है। ऐसे हालातों में फिर माँ बनना मेरे लिहाज़ से तो बहुत मुश्किल है... मैं खुद चाह कर भी ये कदम नहीं उठा सकती क्योंकि मेरा शरीर इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं है।  मैंने खुद को नज़रअंदाज़ करने के गलत कदम से कभी सबक ही नहीं लिया और उसकी सजा आज मुझे इस भारी असफलता के रूप में मिल रही है। 
ये मेरे लिए अब लाइफ चेंजिंग भी है और चलैंगिंग भी है.... मैं अब माँ बनने का चैलेंज नहीं ले सकती मगर इसे न ले पाने की वजह किसी को समझा नहीं सकती क्योंकि सबसे मज़े की बात है कि  मेरी ये समस्या कोई नहीं समझ सकता, या समझना नहीं चाहता... 
पुनश्च: वेदिका की कहानी, हर उस माँ की कहानी है जिसने खुद से पहले हर चीज़ को प्राथमिकता दी। इस कहानी को अपनी कहानी न बनने दें। बच्चे की देखभाल के साथ साथ अपना भी ख्याल रखें।
जिंदगी के सबक अपनाएं,  हर अनुभव से सही सीख लें... खुद को चंगा रखना सबसे उपर रहे. ... आप हैं तो सब हैं ।
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