आज एक कहानी से शुरू करते हैं... एक कहानी जो मेरे पापा मुझे सुनाया करते थे.... कहानी है एक चित्रकार की जिसने एक चित्र बनाया और लोगों की राय जानने के लिए उसे शहर के चौक पर रख दिया। चित्रकार ने अपने बनाए चित्र के साथ एक कागज़ और कलम भी रखी जिसमें लोग अपनी राय लिख सकते थे।
सुबह से शाम हुई और चित्रकार बड़ी उत्सुकता से उस कागज़ को पढ़ने लगा, मगर उसे मायूसी हासिल हुई। चित्रकार ने उम्मीद की थी तारीफ़ और गुणगान की मगर वह कागज़ तो शिकायतों और गलतियों से भरा था। कोई रंग से नाखुश था तो कोई रंखांकन से, किसी को बनावट से शिकायत थी तो कोई विषयवस्तु से ही गिला रखता था। चित्रकार बड़ा निराश हुआ मगर उसने हार नहीं मानी। वह फिर से लग गया और लोगों की सलाह शिकायत के अनुसार दोबारा चित्र बनाने लगा। उसने हर सुधार किया और इस बार एक नायाब चित्र बनाया। और लोगों की राय जानने के लिए उसे शहर के चौक पर रख दिया। शाम को जब चित्रकार कागज़ को देखता है तो फिर वही, कमियों की लम्बी सूची पाता है। जिस चित्र में उसने अपनी जान डाल दी लोगों को उसमें ब स त्रुटियाँ ही नज़र आईं। चित्रकार दुखी तो था किन्तु उसने फिर कोशिश करने की सोची।
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। चित्रकार हर बार एक अद्वितीय चित्र बनाता और लोग उसमें असंख्य नुक्स निकालते। एक दिन हताश होकर चित्रकार ने चौक पर चित्र के साथ रंग और ब्रश रख दिया और लिखा कि चित्र की गलतियों को सुधार कर मेरे चित्र को श्रेष्ठ बनाएं।
शाम को जब चित्रकार वहाँ पहुँचा तो देखा कि चित्र बिलकुल वैसा का वैसा ही है किसी वे कुछ नहीं किया। उस दिन चित्रकार ने एक सबक सीखा, कि हम अपने काम में कितने ही श्रेठ क्यों न हे लोग कोई न कोई गलती निकाल ही देंगे। हर बार सुधार की सलाह देंगे। चाहे जितना प्रयास करें हम सबको खुश नहीं कर सकते। और इतनी सलाह देने वाले लोगों से जब कर के दिखाने को कहा जाता है तो सब पीछे हट जाते हैं ।
जीवन ऐसा ही है। शिकायत सबको है पर सुधारने कोई नहीं आता।
पुनश्चः :- जो लोग हमारी हर कोशिश पर हमें हताश करते हैं वो बस कहकहे हैं। बातों के शेर, जो काम नहीं आते। लोगों की सलाह सुनें मगर हर सलाह का अनुसरण करना तो कोई समझदारी नहीं। आप अपने लिए श्रेष्ठ हैं बस। अपने लिए श्रेष्ठ चुनें। कागज़ की हर सलाह- शिकायत को दिल से न लगाएं क्योंकि आपकी जिंदगी में सही रंग बस आप ही भर सकतीं हैं ।
Choose best for your self... Ignore the criticism and walk tall...
WE CAN HELP
Women health and fitness seevices.
सुबह से शाम हुई और चित्रकार बड़ी उत्सुकता से उस कागज़ को पढ़ने लगा, मगर उसे मायूसी हासिल हुई। चित्रकार ने उम्मीद की थी तारीफ़ और गुणगान की मगर वह कागज़ तो शिकायतों और गलतियों से भरा था। कोई रंग से नाखुश था तो कोई रंखांकन से, किसी को बनावट से शिकायत थी तो कोई विषयवस्तु से ही गिला रखता था। चित्रकार बड़ा निराश हुआ मगर उसने हार नहीं मानी। वह फिर से लग गया और लोगों की सलाह शिकायत के अनुसार दोबारा चित्र बनाने लगा। उसने हर सुधार किया और इस बार एक नायाब चित्र बनाया। और लोगों की राय जानने के लिए उसे शहर के चौक पर रख दिया। शाम को जब चित्रकार कागज़ को देखता है तो फिर वही, कमियों की लम्बी सूची पाता है। जिस चित्र में उसने अपनी जान डाल दी लोगों को उसमें ब स त्रुटियाँ ही नज़र आईं। चित्रकार दुखी तो था किन्तु उसने फिर कोशिश करने की सोची।
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। चित्रकार हर बार एक अद्वितीय चित्र बनाता और लोग उसमें असंख्य नुक्स निकालते। एक दिन हताश होकर चित्रकार ने चौक पर चित्र के साथ रंग और ब्रश रख दिया और लिखा कि चित्र की गलतियों को सुधार कर मेरे चित्र को श्रेष्ठ बनाएं।
शाम को जब चित्रकार वहाँ पहुँचा तो देखा कि चित्र बिलकुल वैसा का वैसा ही है किसी वे कुछ नहीं किया। उस दिन चित्रकार ने एक सबक सीखा, कि हम अपने काम में कितने ही श्रेठ क्यों न हे लोग कोई न कोई गलती निकाल ही देंगे। हर बार सुधार की सलाह देंगे। चाहे जितना प्रयास करें हम सबको खुश नहीं कर सकते। और इतनी सलाह देने वाले लोगों से जब कर के दिखाने को कहा जाता है तो सब पीछे हट जाते हैं ।
जीवन ऐसा ही है। शिकायत सबको है पर सुधारने कोई नहीं आता।
पुनश्चः :- जो लोग हमारी हर कोशिश पर हमें हताश करते हैं वो बस कहकहे हैं। बातों के शेर, जो काम नहीं आते। लोगों की सलाह सुनें मगर हर सलाह का अनुसरण करना तो कोई समझदारी नहीं। आप अपने लिए श्रेष्ठ हैं बस। अपने लिए श्रेष्ठ चुनें। कागज़ की हर सलाह- शिकायत को दिल से न लगाएं क्योंकि आपकी जिंदगी में सही रंग बस आप ही भर सकतीं हैं ।
Choose best for your self... Ignore the criticism and walk tall...
WE CAN HELP
Women health and fitness seevices.




Comments
Post a Comment