किसी की बीवी होना बड़ा ही मुश्किल औहदा है। बात रिश्ते की नहीं, बात है रिश्ते से जुडी कड़ियों और उनसे जुडी जिम्मेदारियों की।हमारी संस्कृति के अनुसार बीवी होने का अर्थ है अर्धांगिनी होना। यानी आधा अंग... और ये अर्थ जीवन के हर पहलु में सार्थक है। मगर वास्तविकता कुछ और ही होती है। अक्सर हमारे परिवारों में घर, परिवार, बच्चे सम्भालना बीवी की ज़िम्मेदारी होती है। जिस घर को, जिस परिवार को जिन बच्चों को पति पत्नी साथ मिल कर बनाते हैं उसे सुचारु रूप से चलाने का सारा दर-ओ -मदार सिर्फ बीवी पर ही क्यों आ जाता है। और इन सब पे सबसे बड़ी कौतुक की बात ये है इन अनंत जिम्मेदायिओं को बखूबी निभाने के बावजूद भी हर बीवी इसी टैग लाइन से जूझती है कि ... "आखिर करती क्या हो"
इसी लिए किसी की बीवी बड़ा ही मुश्किल औहदा है। जिसे हम आशियाना समझ कर चलते हैं वो असल में एक पिंजरा है, बस किसी का सोने का पिंजरा है तो किसी का लोहे का, किसी के पिंजरे का तना बना इंसानी हाथों से सजा है तो किसी का सोने चांदी नोंटो से। किसी का पिंजरा ख्यालों का है तो किसी का खुमार का, किसी का मोह का तो किसी का मजबूरी का, चाहे जैसा हो मगर पिंजरा तो है।
क्या पढ़ने वालों ने इर्द गिर्द नज़र घुमा कर "अपने पिंजरे" का विश्लेषण किया....? घबराएं नहीं.... ये सच में पिंजरा नहीं है... ये वही घर है जिसे आप खुद सजती संवारती हैं.... बस कहीं कैद हैं तो वो है सोच.... ज़िम्मेदारियों में हैं कि अपने आस पास एक पिंजरा सा बना लेते हैं। " बच्चों का nasta बनाना होता है, मॉर्निंग वाक का समय ही नहीं".... "दिन में काम वाली आती है कैसे एक्सरसाइज करू" .... "ये चले जाये तब नाश्ता करुँगी" .... " आज काम बहुत हैं अपने लिए लंच कैसे बनाऊ " .... ऐसे न जाने कितने ही बहाने होते है हमारे पास... अब देंखें बन गया न पिंजरा.....
बीवी होना सच में मुश्किल होता है... हमारे काम का न तो कोई pay cheque आता है न कोई appraisal मिलता है... न छुट्टी, न हाफ डे। हम तो परमानेंट बंधुआ हैं... बस कुछ अलग है तो वो ये है कि हम इंसान हैं। अपनी सेहत और ख़ुशी का सोचना भी हमारी ही ज़िम्मेदारी है। कुछ कार्य भार अगर घर के और सदस्य निभाएं तो हम भी अपने लिए कुछ वक़्त निकल पाएंगे...
अब वक़्त है अपने अर्धांगिनी होने का हक़ लेने का.... घर की ज़िम्मेदारियों को आधा ही उठायें, कुछ काम बच्चे और पति के लिए भी छोड़ें। अपनी ज़िन्दगी से ही अपने लिए कुछ वक़्त निकालें। अपने आप को पिंजरे से रिहा करें.... अपना काम खुद आसान करें...
P.S. :- share the load... men help your better halves for its your home and you both take care of it together sparing her some personal time.... women excuse yourself and ask for help, its their house too, find that small moment and keep it for yourself.....
WE CAN HELP
cosmetic, fitness and health services only for women.....
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