कहानियां तो कई लिखीं मैंने...कुछ अपनी, कुछ औरों की। बस मसला हर बार हेल्थी माँ का था। मगर आज एक ऐसा अनुभव लिख रही हूँ जो दिल दिमाग को झंकझोर देगा।  आज क्लिनिक पर एक औरत आयी... एक अजीब सी मायूसी थी उसकी आँखों में। सच, जी चाहा था उसकी कहानी जानने का, मगर मैंने अपने लेखक मन को चुप करवाया और डॉक्टरी दिमाग को अपना काम करने दिया।  बस मुझे ये नहीं पता था की ये मसला दिमाग का नहीं दिल का था और मेरे दिल को यूँ छू जायेगा कि आज तो कलम रुक न सकेगी।
खैर! कहानी को आगे बढाती हूँ.... केबिन में घुसते ही नैना ने बड़ी फुर्तीली निगाह से पूरे कमरे को निहारा, जैसे कोई मुआयना कर रही हो।  फिर कुछ सकुचाते हुए बैठी और मुझे देखने लगी। एक खालीपन था उसकी आँखों में जिसमें से मायूसी आंसू बन कर यदा कदा  झांकती थी।
काफी देर वो खामोश बैठी रही... मैं बस उसे निहारती रही की शायद उसकी ऑंखें वो कहे जो मैं जानना चाहती हूँ। मगर न वो बोली न उसकी आँखें वरन वो मेरे कुछ कहने का इंतज़ार कर रही थी। संजीदा हो कर मैंने उसे पूछा "कहिए, क्या परेशानी है।" मैं भी कुछ गहरा जानना चाहती थी और वो भी बस जवाब से कुछ ज्यादा कहना चाहती थी, ये हम दोनों समझ रहे थे मगर हम डॉक्टर और मरीज़ के दायरे में बंधे थे। वो जो कुछ भी था जो उसे खामोश रखे था वो पल भर को ढील भरता है और नैना बोल पड़ती है। अपने नाम से शुरू करते हुए उसने मुझसे ही पूछ लिया कि बेली कंडीश्निंग प्रोग्राम में स्ट्रेच मार्क्स कम करने के लिए भी कुछ देती हूँ मैं? साधारण प्रतुत्तर सुन मैं कुछ निराश हुई मगर हाँ में उत्तर दे कर उसे फिर पूछा की आप बेल्ली कंडीश्निंग और स्ट्रेच मार्क्स ट्रीटमेंट के लिए आयी हैं ?
अबकी बार नैना की आवाज़ में भारीपन और आँखों में उम्मीद थी, वो बोली..."मुझे स्ट्रेच मार्क्स बिलकुल हटवाने हैं... जैसे कभी थे ही नहीं... पहले जैसा होना है।" जाने क्यों उसकी बात सतही महसूस हुई और लगा की कुछ भयानक छुपा है इस साधारण से सवाल के पीछे। अपने आशंकाओं को काबू कर मैं उसे बेल्ली कंडीश्निंग और स्ट्रेच मार्क्स ट्रीटमेंट के बारे  में जानकारी देने लगी। ज्यों ज्यों मेरी बात आगे बढ़ रही थी उसकी बेचैनी बढ़ रही थी और शंका उसके चेहरे पर और साफ दिखने लगी थी।  उसने मुझे बीच में ही रोक कर पूछा... "आप समझीं नहीं मुझे ये निशान नहीं चाहिए... हल्के  या काम गहरे की उम्मीद से मैं आपके पास नहीं आयी हूँ, मुझे ये निशान नहीं चाहिए... बिलकुल नहीं।" उसने इतना ज़ोर दे कर कहा की मैं खुद को रोक ही न सकी और  बोल पड़ी..." ये बस स्ट्रेच मार्क्स नहीं है ये वो याद है जो कुदरत ने आपको माँ बनाने के एवज़ में दी है...इनसे इतना गुरेज़... हम कोशिश करेंगे, इन्हें धीरे धीरे हल्का किया जा सकता है, वक़्त लगेगा।"
मेरी बात ख़त्म होने से पहले वो उठ खडी हुयी और उतावली हो कर बोली..."आप नहीं समझेंगी, ये बस निशान नहीं हैं, ये कारण हैं मेरे पति के मुझसे दूर होने का... " और टूट गया अश्रुबांध।
मैं संभल ही न सकी और वो आहिस्ता से फिर बैठ गयी और अब वो कहानी बताने लगी जो मैं इस मुलाकात से शुरुआत से ही जानना चाहती थी मगर अब यूँ लग रहा था कि काश मैं उसे रोक पाती... काश न सुननी पड़ती ये कहानी मुझे।
नैना की ज़ुबानी.... नैना कुछ सालों पहले अपने पति मिहिर से मिली थी, उसके रूप के जाल में मिहिर यूँ फंसा की चट मांगनी..... पट ब्याह कर नैना को अपना बना कर घर ले आया।  मिहिर और नैना इश्क़ के इंद्रधनुष तले नयी गृहस्ती का तना बना बुनाने लगे। मिहिर के लिए नैना एक हसीं ख्वाब थी।  जल्द ही इस ख्वाब के रंग और चमकीले होने को हुए जब नैना माँ बनने  वाली थी।  ये खबर मिहिर को चाँद पर ले गयी मगर नैना से कुछ दूर भी। धीरे धीरे मिहिर नैना से कटने लगा, प्रेग्नेनसी से ले कर डिलीवरी तक दोनों के बीच के फासले बढ़ते गए और डिलीवरी के बाद ये दूरियां खायी बन गयी... कितनी बार नैना ने जानना चाहा मगर मिहिर हर बार बात टाल  जाते।  वक़्त के साथ मिहिर का अलगाव नाराज़गी और फिर नफरत में बदलने लगा। और इधर नैना का सब्र बाँध टूटने को था। मिहिर ने नैना को ताना मरना और उसका मज़ाक बनाना अपनी आदत में शामिल कर  लिया था। जो मिहिर उसकी ख़ूबसूरती के कसीदे पढ़ते नहीं थकते थे वो आज सब के सामने नैना का तिरस्कार करते थे। हज़ारो बहस और लाखों आमने-सामनों के बाद अब नैना को बात कुछ समझ आने लगी थी। नैना की ख़ूबसूरती पर बढे वज़न, ढीले शरीर और स्ट्रेच मार्क्स का ग्रहण लग गया था जो मिहिर की नफरत का कारण था। हताश नैना ने खुद को फिर संवारना शुरू किया कि किसी तरह मिहिर का प्यार वापस पा सके। वक़्त और मेहनत से नैना काफी कुछ पहले सी दिखने लगी थी मगर जब भी मिहिर करीब आते उसके पेट पर के स्ट्रेच मार्क्स देख कर खीज जाते। बस यही समस्या उसे मेरे पर लायी थी और यही कारण  था उसकी बेचैनी का।
मैं कुछ निराश सी थी... नैना को इलाज नहीं हिम्मत चाहिए थी खुद को माँ बनाने के बाद के बदलाव के साथ स्वीकार करने की। नैना मरीज़ नहीं एक हताश औरत थी जो अपने पति की आँखों के आईने में खुद को देख कर अपना आत्मविश्वाश खो चुकी थी। मगर इसमें दोष उसका नहीं उसके पति का है।  जो दुनिया जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों और यादों को संजोने के लिए टैटू बनाती है... उसी दुनिया में ऐसी सोच भी है। स्ट्रेच मार्क्स तो कुदरती टैटू है जो हमे माँ होने का अहसास कराते है।  ये निशान माँ होने के अनुभव का हिस्सा हैं.. इन्हे हटाना या इनसे आपत्ति रखना माँ होने से आपत्ति रखने जैसा है।

पुनश्च - आपकी पत्नी के पेट पर जो स्ट्रेच मार्क्स के निशान हैं,वो एक माँ का अपने बच्चे के लिए प्यार का प्रतीक है। यह एक मातृत्व की निशानी है। याद करिये, जब आपने उन्हें पहली-पहली बार देखा था तो वह कितनी सुन्दर थी।इसी सुन्दर लड़की से शादी करने के लिए आपने हामी भरी थी।फर्क बस इतना है कि वह अब माँ बन चुकी है। जिसकी वजह से शरीर में बहुत सारे परिवर्तन आए हैं। इन्होने आपको जिंदगी दी है, आपके घर को पूरा किया है।
इन्हे कभी भी इग्नोर या इनके साथ दुर्व्यवहार न करें। iएक माँ को उसके सारे स्ट्रेच मार्क्स के निशानों के साथ अपनाए। उनके शारीरिक बनावट का कभी भी मज़ाक न बनाएं क्योंकि इसी शरीर में उन्होंने आपके बच्चे को पूरे नौ महीने रखा है जिसकी वजह से उनका शरीर अब पहले जैसा नहीं रहा। उनके शरीर के स्ट्रेच मार्क्स आपके लिए प्यार को दर्शाता है।हर बाप अपने बच्चे से अथाह प्यार करता है, उसे यह सौभाग्य एक स्त्री के द्वारा हीं मिलता है जो पूरे नौ महीने हर तरह के उतर-चढ़ाव से जूझते हुए डिलीवरी रूम में असहनीय दर्द के साथ बच्चे को जन्म देती है। उसके बाद यहीं पर उसका दर्द खत्म नहीं होता, बच्चे के जन्म के बाद रात-दिन एक कर वह बच्चे के परवरिश में लग जाती है।उसके यह निस्वार्थ प्रेम और बलिदान को समझे। उनका हमेशा  साहस बढ़ाते रहें, और उन्हें बहुत सारा प्यार देते रहें।
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