Kamarband

आज एक SUCCESS STORY. एक ऐसी कहानी जो प्रेरणात्मक भी है और अविश्वश्नीय भी। कहानी है एक साधारण से परिवार की साधारण सी लड़की पर्णिका की जो एक असाधारण सी परिस्तिथि से बड़े ही साधारण से तरीके से खुद को निकाल लाती है। तो बात यहाँ से शुरू होती है कि "शौक़  बड़ी चीज़ है"
पर्णिका को गहनों का बड़ा शौक़ था। हर बार जब वो माँ के गहने पहन कर खुद को शीशे में निहारती तो माँ यही कहतीं कि, राम करे तेरी सास तुझे गहनों से लाद दे। भगवान् ने भी शायद माँ की ये बाद हिफाजत से दर्ज़ कर ली थी और वक़्त आने पर पर्णिका को बड़ी ही संपन्न ससुराल मिली और जैसा माँ चाहती थी पर्णिका की सास ने उसे एक से एक नायाब गहनों से लाद दिया।
माथे के मांगटीके से पैवरों की पाज़ेव तक हर जे़वर.. कितने ही डिजाइन और सेटस। पर्णिका की खुशी का तो ठिकाना न था..... वो हर अवसर पर रज के तैयार होती और अपने ज़ेवरों पर खूब इठलाती। बस एक ही अफसोस था कि सासुमाँ ने पर्णिका को कमरबंद नहीं दिया था। उसने कई बार हल्के शिकायती लहजे़ में सासिमाँ मे कहा भी मगर वो हर बार मुसकुरा कर सर हीला देतीं।
समय अपनी चाल से चलता रहा और पर्णिका की जिंदगी आगे बढ़ती रही। जिंदगी नित नए खेल खेलती रही और पर्णिका उन खेलों में जिंदगी को शह-मात देती रही। एक दिन जिंदगी ने तोहफा भी दिया पर्णिका माँ बनने वाली थी। घर में खुशी की लहर दौड़ गई। पर्णिका घर का केंद्र बन गई और सब उसके इर्द गिर्द घुमने लगे। उसकी हर फ़रमाइश पूरी होती....मौके की नज़ाकत देख कर पर्णिका ने एक बार फिर अपने मन की बात सासुमाँ से कही.... कमरबंद। मगर सासुमाँ फिर मुसकुरा कर सर हीला देतीं.... पर्णिका मायूस हो जाती। खैर.....वक्त के साथ गोद भराई का भी दिन आया..... पर्णिका को बड़ी उम्मीद थी कि आज उसकी इच्छा पूरी होगी मगर एेसा न हुआ। गहनों के सारे डिब्बों को तलाशा उसने......हर गहना था मगर कमरबंद नहीं था।
इस बार पर्णिका निराश हो गई। धीमे धीमे डिलेवरी का भी दिन आ गया और पर्णिका ने एक बेटे को जन्म दिया। सासुमाँ तो खुशी से सरबोर थीं,  निराश पर्णिका को बेटे के दशटौन के दिन भी भींनी सी उम्मीद थी कि शायद किसी डिब्बे में उसकी खुशी हो..... मगर सासुमाँ ने भी ठान ही ली थी कि पर्णिका को तरसाना ही है। अब पर्णिका ने उम्मीद भी छोड़ दी थी और अब वो नन्हे रियांश के साथ कुछ व्यस्त भी रहने लगी थी। पूरे साज-ओ-सामान के साथ तैयार होने वाली पर्णिका अब खुद को नज़रअंदाज़ करने लगी थी। डेलिवेरी के बाद के शारीरिक बदलाव और बढ़े वज़न से अब वो खुद से ही कतराने लगी थी। ज़ेवर और कमरबंद की बस यादें ही रह गई थी उसके ज़हन में। मानो किसी ताबूत में सब दफ़न हो रहा हो।और इस ताबूत में आखरी कील दागी सपना मौसी की उस टिप्पणी ने..... पर्णिका तो बहुत मोटी हो गई है। चुप रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था पर्णिका के पास सो वो दुखी होकर अपने कमरे में चली गई। उस शाम सासुमाँ ने आ कर पर्णिका को एक सुंदर सा बक्सा दिया। खोलकर देखा तो पर्णिका भावनाओं के भंवर में घिर गई। नाराज, मायूस, क्रोधित, खुश सब एक साथ महसूस कर रही थी वो। आखिर सासुमाँ ने उसे आज कमरबंद दे ही दिया। मगर पर्णिका ने उसे लौटाते हुए कहा....  अब ये मुझे नहीं आएगा ना मेरी कमरा बन चुकी कमर पर फबेगा।
सासुमाँ ने पर्णिका को प्रोत्साहित करते हुए कहा "जिस चीज़ का इतना इंतज़ार किया उसके मिलने पर यूँ हार नहीं मान सकतीं तुम.....खुद को इसके लायक बनाओ.... फिर देखो ये तुम्हें कितना खूबसूरत बनाता है"। हज़ारों मायूसी भरी बातें ज़हन में आईं मगर सासुमाँ की की बात सब पर हावी हो गई..... खुद को इसके लायक बनाओ।
बस यहीं से शुरू हुआ पर्णिका का असाधारण सफर। पर्णिका ने बड़े प्यार से कमरबंद पर हाथ फेरा और आँखें बंद कर के उसे अपनी छरहरी कमर पर देखा। अगले ही पल पर्णिका अपनी रणनीति बनाने में लग गई। उसने खुद को तीन महीने का वक्त दिया और एक प्लैन बनाया।
खुद को इस प्लैन मे ढाला और बड़ी शिद्दत से हर छोटी बड़ी चीज़ें अपनाने लगी। जैसे जैसे ये प्लैैन आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे पर्णिका और कमरबंद की दूरी कम होने लगी थी। उसने एक डायरी बनाई जिसमें वो हर बात का जिक्र करती.....क्या खाया, कितना खाया,  क्या तलब थी आज,  कितनी कसरत की,  कितने कदम चली....हर चीज़। ये डायरी उसे अपने सही गलत चुनाव का रिकॉर्ड देती और हर अगले दिन और मेहनत और सही चुनाव में मदद करती। उसने हर अनहेल्दी आदत को हेल्दी आदत में बदल लिया जैसे मिठाई की जगह डार्क चॉकलेट और चिप्स की जगह मूंगफली। दिनचर्या के हर काम में कोई कसरत शुमार की जैसे किचन के काम के दौरान मार्चिंग और टीवी देखते वक्त चेहरे की कसरतें।
आखिर पर्णिका की मेहनत रंग लाई और तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद बेटे रियांश के दूसरे जन्मदिन पर जब पर्णिका सज धज कर तैयार हुई तो उसका चेहरा खुशी से और उसकी छरहरी कमर कमरबंद से चमक रहे थे। सब पर्णिका में आए बदलाव से आश्चर्यचकित थे। सबसे हैरान थीं सपना मौसी, उन्हें तो जैसे अपनी ही बात का जवाब मिल गया था।सब पर्णिका से पुछते नहीं थक रहे थे क्या था उसके इस नए अवतार का राज़। पर्णिका के पास एक ही जवाब था " शौक बड़ी चीज़ है"..... आखिर कमरबंद के शौक और सासुमाँ की एक हिदायत ही तो आज उसे इम मकाम पर लाई थी।
पुनश्चः :- हेल्दी तरीके से वजन कम किया जा सकता है । पर्णिका की कहानी एक मिसाल है। सही आदतें, कसरते और खान पान के बदलाव से वजन कम और शरीर को सुडोल बनाया जा सकता है।
WE CAN HELP
Fitness and Body conditioning services

Comments

Popular posts from this blog

मियाँ गुमसुम और बत्तो रानी

kanch ka fuldaan aur kagaz ke ful