स्पेशल नवरात्रे
साल का वो महत्वपूर्ण समय आ चुका है जब हमारे मन में स्त्री शक्ति के प्रति श्रद्धा, भक्ति और सम्मान सब एक ही साथ और पूरे उफान से जाग उठता है। सही समझ रहे हैं आप... "माता के नवरात्रे " आ गए हैं और सब माता के स्वागत सत्कार में जुट गए हैं। मगर मैं शायद कुछ फुर्सत में हूँ (ऐसा नहीं है की माता के नौ दिनों की तैयारी का कार्यभार मुझपर कुछ कम है) कि आज बड़े दिनों बाद अपने पाठकों से मुख़ातिब हुयी हूँ। अब यूँ कि इतने दिनों से जिंदगी कुछ अहम सबक सीख रही थी सो आज सोचा आप सब से भी उन्हें साझा कर लूँ। अब नवरात्रों का ज़िक्र इस लिए किया कि आपके फ़ोन और कंप्यूटर के सभी सोशल मीडिया ऍप्स पर माता रानी और उनके पूजन से जुडी बहुत सारे पोस्ट्स आपके पास आने ही लगे होंगे। किन्ही में नारी को शक्ति का रूप कहा गया होगा, तो किन्ही में देवी। कुल मिला कर ये नौ दिन सिर्फ माता रानी के सम्मान के दिन ही नहीं हैं बल्कि इन दिनों में औरतों के प्रति भी काफ़ी सत्कार व्यक्त किया जाता है। मैं यहाँ ऐसी कोई बात नहीं करने वाली हूँ। बल्कि मैं तो नौ दिनों के नौ सबक आपके साथ बाँटना चाहती हूँ जो इन नौ के बाद भी आपके साथ रह जायेंगे।
पहला, प्यार कुछ काम करें... कभी कभी नफ़रतें भी ज़ाहिर करें।
दूसरा, चुप्पी में कुछ गीले-शिकवों का तड़का लगाएं।
तीसरा, नाराज़गी में बस दिल ही नहीं, कभी एक आध रोटी भी जलाएं।
चौथा, औरों की गलतियां सुधारते सुधरते बोर हो गयीं हों तो कभी अपनी भी कुछ गलतियां उसमें जोड़ दें।
पांचवां, घर संवारना बंद भी करें, यूँ कि घर ही तो है... कोई ताज महल तो नहीं।
छठा, गुस्से की घूंट पी पी कर जो ये ज़हर पाल रखा है सीने में, किसी दिन यूँ ही किसी पे उतार भी लें।
सातवां, इस महीने वो थोड़ी सी जो बचत की है उसे खुद पर खर्च लें।
आठवां, सारा दिन तो घर की धुरी पर नाचती हैं, किसी दिन बस नींद की सारी उधारी चूका लें।
नौवां, हर बार खुद ही घर पर रुक जाती हैं चौकीदार बन कर, कभी सबसे पहले खुद ही निकल पड़ें किसी नयी राह की तलाश में।
रोज़ की दिए बाती के साथ एक दिया खुद को रौशन करने के लिए भी लगाएं। ये ब्लॉग बस पढ़ने के लिए नहीं... कुछ अमल करने के लिए भी है... कुछ मैंने कर लिया... कुछ आप भी कर के देखें... ये नवरात्रे स्पेशल हो जायेंगे।
WE CAN HELP
Healthy Mom physical therapy and fitness services
पहला, प्यार कुछ काम करें... कभी कभी नफ़रतें भी ज़ाहिर करें।
दूसरा, चुप्पी में कुछ गीले-शिकवों का तड़का लगाएं।
तीसरा, नाराज़गी में बस दिल ही नहीं, कभी एक आध रोटी भी जलाएं।
चौथा, औरों की गलतियां सुधारते सुधरते बोर हो गयीं हों तो कभी अपनी भी कुछ गलतियां उसमें जोड़ दें।
पांचवां, घर संवारना बंद भी करें, यूँ कि घर ही तो है... कोई ताज महल तो नहीं।
छठा, गुस्से की घूंट पी पी कर जो ये ज़हर पाल रखा है सीने में, किसी दिन यूँ ही किसी पे उतार भी लें।
सातवां, इस महीने वो थोड़ी सी जो बचत की है उसे खुद पर खर्च लें।
आठवां, सारा दिन तो घर की धुरी पर नाचती हैं, किसी दिन बस नींद की सारी उधारी चूका लें।
नौवां, हर बार खुद ही घर पर रुक जाती हैं चौकीदार बन कर, कभी सबसे पहले खुद ही निकल पड़ें किसी नयी राह की तलाश में।
रोज़ की दिए बाती के साथ एक दिया खुद को रौशन करने के लिए भी लगाएं। ये ब्लॉग बस पढ़ने के लिए नहीं... कुछ अमल करने के लिए भी है... कुछ मैंने कर लिया... कुछ आप भी कर के देखें... ये नवरात्रे स्पेशल हो जायेंगे।
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